TODAY EXPRESS NEWS : फरीदाबाद। नवरात्रों के छठे दिन सिद्धपीठ मां वैष्णोदेवी मंदिर में मां कात्यायनी की भव्य पूजा की गई। पूजा का शुभारंभ मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने करवाया। इस अवसर पर हजारों भक्तों ने मां के जयकारों के बीच पूजा अर्चना में हिस्सा लिया। प्रातकालीन आरती में मां के भजनों के बीच हवन यज्ञ में श्रद्धालुओं ने अपनी आहूति डाली।
इस अवसर पर भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण भी किया गया। मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने आए हुए भक्तों का स्वागत किया। पूजा अर्चना में उद्योगपति आर के बत्तरा, इंकम टैक्स के ज्वाइंट कमिश्नर परिक्षित, इंकम टैक्स अधिकारी प्रवीण कुमार, कुमुद सचेदवा एडवोकेट सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
पूजा अर्चना के उपरांत जगदीश भाटिया ने भक्तों को बताया कि देवी कात्यायनी की पूजा आदि शक्ति के छठे रूप के तौर पर की जाती है। देवी कात्यायनी सच्चे भक्तों के लिए अमोघ फलदायिनी मानी गई है। जो लोग शिक्षा के क्षेत्र में है उन्हें विशेष तौर पर देवी कात्यायनी की आराधना करनी चाहिए। शारदीय नवरात्रि का छठा दिन 15 अक्टूबर को है. इसी के साथ देवी कात्यायनी की पूजा गृहस्थों और विवाह की इच्छा रखने वालों के लिए भी फलदायी मानी जाती है.
नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है, जो अपने भक्त की हर मुराद पूरी करती हैं। बताया जाता है कि कत नाम के एक प्रसिद्ध महर्षि थे, उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए. इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे । इन्होंने भगवती की उपासना करते हुए बहुत सालों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी, उनकी इच्छा थी मां भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें । मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली, जिसके बाद से मां का नाम कात्यायनी पड़ा । यह दानवों, असुरों और पापी जीवधारियों का नाश करने वाली देवी भी कहलाती हैं.
श्री भाटिया ने बतायाकि अपने सांसारिक स्वरूप में मां कात्यायनी शेर पर सवार रहती हैं । इनकी चार भुजाएं हैं, इनके बांए हाथ में कमल और तलवार है. दाहिने हाथ में स्वस्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है. नवरात्र के छठे दिन इनके स्वरूप की पूजा की जाती है. । नवरात्र के छठे दिन लांल रंग बहुत शुभ माना जाता है, ये आदिशक्ति का प्रतीक होता है । देवी कात्यायनी की पूजा के दिन लाल वस्त्र पहनने चाहिए.
( टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ के लिए अजय वर्मा की रिपोर्ट )