विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में वैज्ञानिक साहित्य विकसित करने की आवश्यकताः कुलपति प्रो. दिनेश कुमार

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Today Express News / Report / Ajay verma / फरीदाबाद, 24 फरवरी – जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा “अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस” का आयोजन किया गया और मातृभाषा के महत्व पर भाषण प्रतियोगिता आयोजित की गई। कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के विवेकानंद मंच द्वारा किया गया था। उल्लेखनीय है कि मातृभाषाओं के प्रसार को बढ़ावा देने और दुनिया भर में भाषाई और सांस्कृतिक परंपराओं को लेकर जागरूकता लाने के लिए यूनेस्को द्वारा 21 फरवरी का दिन अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में घोषित किया गया है। इस अवसर पर एनएचपीसी में महाप्रबंधक (राजभाषा) डॉ. राजबीर सिंह मुख्य वक्ता रहे। कार्यक्रम को दैनिक जागरण समाचार पत्र में हरियाणा राज्य ब्यूरो के विशेष संवाददाता बिजेंद्र बंसल ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने की। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग और विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का आयोजन निदेशक युवा कल्याण डॉ. प्रदीप डिमरी की देखरेख में किया गया।

Vice Chancellor Prof. Dinesh Kumar

इस अवसर पर बोलते हुए कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को मातृभाषा की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए। उन्होंने विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए वैज्ञानिक साहित्य हिंदी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं में विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

Dr. Rajbir Singh

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. राजबीर सिंह ने कहा कि भाषा केवल संवाद करने काएक साधन नहीं है, बल्कि यह स्थान विशेष की अभिव्यक्ति, विरासत और संस्कृति का भाव हैं। उन्होंने कहा कि भाषाएं हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और विकसित करने का सबसे शक्तिशाली साधन हैं। यह संस्कृति, मूल्यों और पारंपरिक ज्ञान को प्रसारित करती है। उन्होंने अंग्रेजी या अन्य विदेशी भाषाओं को सीखना अच्छी बात है लेकिन मातृभाषा को छोड़ने अन्य भाषा को अपनाना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए और इसके प्रचार के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए। हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं की लोकप्रियता के संदर्भ में 2011 की जनगणना के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि बहु-शब्द अभिव्यक्ति के मामले में हिंदी सबसे समृद्ध भाषा है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिजेंद्र बंसल ने भी मातृभाषा के महत्व को लेकर अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि भाषाई विविधता के बावजूद भारत को एकजुट करने वाली यदि कोई भाषा है तो वह हिंदी है। इस अवसर पर आयोजित भाषण प्रतियोगिता में में बीटेक (ईसीई) के आर्यन ने पहला पुरस्कार जीता। बीटेक (ईसीई) से मेघना और बीटेक (आईटी) से किरण ने क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया।

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