TODAY EXPRESS NEWS : जयपुर , ग्रामीण राजस्थान की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को जल प्रबंध और संरक्षण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह एक ऐसीपरियोजना का भाग है जिसका मकसद ग्रामीण महिलाओं में राज्य के वाटर बॉडीज (तालाब, जलाशय, पोखर) का प्रबंध करने के लिए कौशल विकास करनाहै। भारत में लिंग के आधार पर भेदभाव न करने वाला समाज बनाने की दिशा में काम करने वाले एक संगठन, सेंटर फॉर सोशल रीसर्च ने एक अनूठी राष्ट्रीयकार्यशाला का आयोजन किया है ताकि तेस स्टडी साझा किए जा सकें और ग्रामीण महिलाओं से भारत में ग्रामीण जल प्रबंध, संरक्षण और सुरक्षा से जुड़ेसर्वश्रेष्ठ व्यवहारों के बारे में जाना जा सके। इस कार्यशाला में जल और जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञों के साथ स्त्री-पुरुष में भेदभाव खत्म करने के काम करनेवाले लोग भी आए हैं। इनके साथ निर्वाचित महिला प्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी भी कार्यशाला में हिस्सा लेंगे। यह आयोजन 23 से 25 नवंबर 2018 तक दथीम होटल, जयपुर में किया गया है।
इस परियोजना में राजस्थान की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों (ईडब्ल्यूआर) को वाटर बॉडीज के रखरखाव, जल संरक्षण और वाटर हारवेस्टिंग (संचयन)की व्यवस्था का प्रशिक्षण देने के साथ-साथ कौशल विकास किया जा रहा है ताकि सरकार को जेंडर बजटिंग के लिए प्रभावित किया जा सके और जल प्रबंधके सरकारी ठेके लिए जा सकें। सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की डायरेक्टर डॉ. रंजना कुमारी कहती हैं, “ग्रामीण भारत में जल प्रबंध का काम जेंडर से जुड़ा मुद्दा है और बड़े पैमाने पर महिलाओंको इस काम से जोड़ा जाना चाहिए। हमारी परियोजना से पता चल रहा है कि ग्रामीण महिलाएं और उनका परिवार जब व्यवस्थित और संगठित तरीके सेवाटर बॉडीज का प्रबंध करना सीख जाता है तो भारी लाभ में रहता है। कार्यशाला में भाग लेने वालों को यह मौका मिलेगा कि वे जेंडर, जल, पंचायती राज व्यवस्था और पीआरआई लीडरशिप के बारे में जानें। भाग लेने वालों कोभिन्न अनुभवों से जल संरक्षण और प्रबंध के सर्वश्रेष्ठ व्यवहारों के बारे में भी पता चलेगा जो केरल, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली के साथ राजस्थान के भी हैं।
( टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ के लिए अजय वर्मा की रिपोर्ट )