टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ । रिपोर्ट मोक्ष वर्मा । मेरा जीवन मेरे एक्टर्स पर निर्भर करता है। क्योंकि आखिरकार अभिनेता ही एक बेहतरीन फिल्म बनाते हैं। दुनिया की सबसे अच्छी स्क्रिप्ट, बेहतरीन विजुअल इफेक्ट्स, म्यूजिक, शानदार डिज़ाइन
इत्यादि सभी एक्टर्स को परफॉर्म करने में सहायक के रूप में मदद करते हैं ..
एक अभिनेता के चेहरे से बड़ा कोई परिदृश्य नहीं है क्योंकि जब हम बच्चे थे, तब से हम लोगों के हमारे साथ बातचीत करने के तरीके से दुनिया को समझते आये हैं। हमने सीखा कि आंखों की गतिविधियों और आवाज़ के स्वर की व्याख्या कैसे की जाती है। हमने दूसरों को देखकर क्रोध, करुणा और प्रेम की व्याख्या करना सीखते हैं।
क्या आप जानते हैं कि जब नवजात शिशु मुस्कुराते हैं तो हम कितने उत्साहित हो जाते हैं? अक्सर, वे मुस्कुरा नहीं रहे होते हैं बल्कि माँ के भावों की नकल कर रहे होते हैं .. वे देखते हैं कि मुस्कुराने की क्रिया से, वे युवकों से खुशी की प्रतिक्रिया कैसे उत्पन्न कर सकते हैं।
इसलिए अपने शेष जीवन में हम भावनात्मक रूप से कहानियों के साथ लिखित शब्दों के माध्यम से नहीं बल्कि उन लिखित शब्दों पर अभिनेता की प्रतिक्रियाओं के माध्यम से जुड़ते हैं। यही कारण है कि अंतरंग कहानियाँ बताने के लिए क्लोज़ अप एक अद्भुत उपकरण है।
निर्देशक के रूप में मेरी भूमिका एक बबल बनाने की है, जिसके भीतर अभिनेता खुद को तलाशने में सहज हों और लेखक द्वारा लिखे गए पात्रों को अपने भीतर पा सकें। यह विश्वास, प्यार और करुणा का एक बुलबुला है, जिसमें हम बिना किसी डर के अपने भीतर को प्रकट कर सकते हैं।