महिला कानूनों के दुरूपयोग के खिलाफ टीम पुरुष आयोग के सदस्य उतरे सड़को पर-मुंडन करवाकर निकाली शवयात्रा

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TODAY EXPRESS NEWS ( AJAY VERMA ) टीम पुरुष आयोग संस्था द्वारा फरीदाबाद के बीके चौक पर महिलाओं और पत्नियों द्वारा दहेज उत्पीड़न , घरेलू हिंसा , छेड़छाड़ ओर बलात्कार के झूठे मुकदमो में पुरुष विरोधी कानूनों का इस्तेमाल करने के विरोध में संस्था के सदस्यों द्वारा जहां सामूहिक मुंडन करवाया गया वहीँ महिला कानूनो के दुरुपयोग को लेकर शवयात्रा निकली गयी ओर पुरुष विरोधी कानूनों का पुतला दहन किया गया।  इस मौके पर दिल्ली – एनसीआर सहित कई राज्यों के पीड़ित पुरुष शामिल हुए.  संस्था के सदस्यों ने बताया की उनका उद्देश्य पुरुषो पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए समाज व प्रशासन को जागरूक करना है.  संस्था द्वारा उपरोक्त कानूनों में संशोधन करने के लिए भारत के मुख्य न्यायमूर्ति ओर कानूनमंत्री एवम प्रधानमंत्री से भी आवाहन किया गया । इस मौके पर मुंडन करवाने वाले दिल्ली के गजाधर ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया की तीन दिसंबर 2013 को उसे रेप के झूठे आरोप में फंसा दिया गया था. अपनी सच्चाई बताते हुए उसने पुलिस के सामने लाख दुहाई दी लेकिन उसकी सुनी गयी और उसे 55 दिन तिहाड़ जेल में काटने पड़े और अंत में दो साल बाद अदालत ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया। यदि पहले इन्साफ मिल जाता तो उसे जेल नहीं काटनी पड़ती। पीड़ित ने आपबीती सुनाते हुए बताया की जेल से बाहर आने के बाद उसकी अपनी पत्नी ने उसे धारा 498 के तहत उस पर केस कर दिया और 2014 से अब तक वह केस अभी भी अदालत में चल रहा है. उसने बताया की आज वह पुरुष विरोधी कानून के तहत प्रदर्शन कर रहे है ताकि मर्दो की भी सुनी जाए और उन्हें झूठे मुकदमो में ना फंसाया जाए. टीम पुरुष आयोग के संस्थापक नरेश मेहंदीरत्ता ने कहा की महिलाओ की तरह मर्दो को भी इंसान समझा जाए. उन्होंने कहा की कहा जाता है की मर्द को दर्द नहीं होता लेकिन वास्तव में मर्द को भी दर्द होता है. कानून कहता है की महिला और पुरुष बराबर है जबकि मर्द जहाँ अपने परिवार का पालन पोषण करने का जिम्मा उठाता है वहीँ उसे ससुराल की मदद का भी जिम्मा उठाना पद जाता है. इसलिए बहु को चाहिए की वह सिर्फ अपने हक़ न जतलाये क्योंकि पुरुषो के भी अपने हक़ है आज समाज में पुरुष को गलत और महिला को सही समझा जाता है. उन्होंने कहा की आज उन्होंने इसी आवाज को उठाते हुए मुंडन करवाया है और शव यात्रा निकाली है. उन्होंने मांग की – की महिला थानों की तर्ज पर पुरुषो के लिए भी ख़ास सेंटर नियुक्त किये जाने चाहिए।

                 

 नरेश मेहंदीरत्ता – संस्थापक – टीम पुरुष आयोग            गजाधर – पीड़ित 

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