TODAY EXPRESS NEWS / BY / AJAY VERMA / अगर मुझे याद करना है कि 90 के दशक में ख़रीददारी कैसे होती थी तो मैं बस तीन शब्द कहूँगा – समय, प्रयास और दूरी। तब उपभोक्ता को घर से बाहर निकलने के बाद पैदल या गाड़ी से कुछ किलोमीटर की दूरी तय कर पास के बाजार जाना होता था और उस समय किराना सामान से लेकर कपड़े तक जो भी जरूरत हो वह खरीदना होता था। और यह काम यहीं समाप्त नहीं होता था। जैसे गए थे, वैसे ही लौटना भी होता था। वह भी सामान से भरे थैलों के साथ। घर पहुंचकर उस सामान को व्यवस्थित भी करना होता था। 90 के दशक में ऐसी होती थी खरीदारी।
लेकिन अब में…
आपको यह काम करने के लिए इंटरनेट सुविधा वाला स्मार्टफोन चाहिए। ऑर्डर से लेकर पेमेंट तक कोई भी उपभोक्ता बिना किसी झंझट के घर बैठे ऑनलाइन कुछ भी और सब कुछ कर सकता है। वॉइस सर्च जैसे अन्य नए जमाने के इनोवेशंस ने ऑनलाइन सर्च को और आसान बना दिया है। इससे खरीदार फोन के सामने बोलकर अपना सामान तलाश सकते हैं। उन्हें स्क्रीन पर बार-बार टैप करने या टाइपिंग करने की जरूरत नहीं होती।
इस बदलाव का श्रेय हर उद्योग और डोमेन में हो रहे डिजिटाइजेशन की लहर को दिया जा सकता है, जो स्मार्टफोन और इंटरनेट की बहती पहुंच से बढ़ रही है। एसोचैम-पीडब्ल्यूसी के एक अध्ययन के अनुसार 2020 तक भारत में स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं की संख्या 859 मिलियन हो जाएगी, जो 2017 में महज 459 मिलियन थी। इसके अलावा बिजनेस-टू-कंज्यूमर ई-कॉमर्स इंडेक्स के अनुसार भारत 152 देशों में से 73वें स्थान पर था। यह ऑनलाइन खरीदारी के प्रति अर्थव्यवस्था की तैयारियों का संकेत है।
लेकिन जो भी चमकता है, सोना नहीं होता।
भारतीय ई-कॉमर्स बाजार ने पिछले कुछ वर्षों में बड़ी चुनौतियों का सामना किया है। उत्पाद को लेकर जालसाजी बड़े विकेताओं और रिटेलर्स को होने वाली भारी ऑपरेशनल लागत, डिलीवरी में देरी आदि प्रमुख बाधाओं के रूप में सामने आए हैं जो निष्पक्ष बाजार के मूल उद्देश्य को प्रभावित करते हैं। ग्राहक को गुस्सा दिलाते हैं और इस प्रक्रिया से दूर रहने को प्रोत्साहित करते हैं।
इन बड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए ई-कॉमर्स की बड़ी कंपनियों ने सुधारात्मक उपाय किए हैं। हालांकि, सब कुछ व्यवस्थित हो नहीं गया है। ऑनलाइन खरीदारी और ऑपरेटिंग करते समय खरीदारों और रिटेलर्स दोनों को अब भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
इन्हीं चिताओं को दूर करने डिजिटल मॉल ऑफ एशिया (डीएमए) जैसे इनोवेटिव कंसेप्ट्स सामने आए हैं।
खरीदारों और रिटेलर्स के संघर्ष ने योकएशिया मॉल्स के संस्थापकों को डीएमए लाने को प्रेरित किया। यह एक तरह का वर्चुअल प्लेटफॉर्म है, जो ग्राहक की ऊपर उल्लेखित परेशानियों को दूर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और खरीदारों और रिटेलर्स दोनों के लिए सुरक्षित खरीदारी और निवेश मंच तैयार करता है।
यहां डीएमए ऑफरिंग्स को आप भी देख सकते हैं-
ज्यादा ट्रैफिकः
जब आप किसी स्टोर की बात करते हैं तो अक्सर वहां 5 किमी के दायरे से खरीदार आते हैं। लेकिन जब हम डीएमए प्लेटफार्म की बात करते हैं तो उसी स्टोर से पूरा शहर ही टारगेट होता है। चूंकि, प्रत्येक मंजिल पर 50 ब्रांड स्टोर होंगे, उनके पास इस अनूठे प्लेटफार्म पर अपना सामान बेचने का विशेष अधिकार होगा। हर स्टोर पहले से ज्यादा ट्रैफिक खींचने में कामयाब होगा। डीएमए उच्च प्रतिस्पर्धा के स्तर को भी कम करेगा क्योंकि हर टावर पर सिर्फ एक ब्रांड स्टोर होगा जो अपने प्रोडक्ट्स और सेवाएं बेच सकेगा और कृत्रित हाईपर-कम्पीटेटिवनेस को दूर करेगा।
कोई कमीशन नहीं, केवल किराया
प्लेटफ़ॉर्म जीरो-कमीशन मॉडल पर संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो रिटेलर्स को अपने शहर में प्लेटफ़ॉर्म पर स्थान सुरक्षित करने में सक्षम बनाता है। ई-कॉमर्स कंपनियों को 5-35 प्रतिशत तक भारी-भरकम कमीशन चुकाने के बजाय इस मॉल में ऑपरेशन के लिए एक निश्चित मासिक किराया देना होता है। इसका रिटेलर्स की लाभप्रदता और राजस्व पर सीधे-सीधे सकारात्मक प्रभाव पैदा होता है।
ग्राहकों के लिए सस्ती और सुरक्षित शॉपिंग
यह देखते हुए कि रिटेलर्स संभवत: सस्ते दामों पर प्रोडक्ट बेच सकेंगे, जिससे खरीदारी की पूरी यात्रा पहले से भी सस्ती हो जाएगी, ग्राहक निश्चित तौर पर इसका स्वागत करेंगे।
इसमें कोई शक नहीं पिछले कुछ दशकों में ई-कॉमर्स ने हमारी जीवनशैली को बदल दिया है। हालांकि, ग्राहकों और रिटेलर्स को जो उपलब्धियों और आराम मिला है, उसके बावजूद कई तरह की चुनौतियां भी सामने आई हैं और वह दोनों को परेशान कर रही हैं। इस तरह की चिंताओं को दूर करने के लिए भारत को डीएमए जैसे कंसेप्टस वाली ज्यादा से ज्यादा कंपनियों की आवश्यकता होगी जो खुद को समग्र बाजार के तौर पर स्थापित कर सके। डीएमए पर कारोबार जनवरी 2020 में शुरू होने वाला है।