TODAY EXPRESS NEWS (बिलाल अहमद) नूह मेवात।
पुलिस के सख्त पहरे के बीच मोस्टवाटेड अरशद की बाजू का ऑपरेशन कर निकाली बाजू में लगी गोली।
परिजनों का आरोप पुलिस मां-बाप और पत्नि तक को भी आरोपी अरशद से मिलने भी नहीं दे रही है
परिजनों का आरोप पुलिस और डाक्टर मिलकर मेडिकल रिपोर्ट को बदल सकते हैं।
परिजनों ने ऑपरेशन को बोर्ड और वीडियो ग्राफी के साथ कराने की मांग की।
पुन्हाना : दो दिन पहले पुन्हाना खंड के गांव तिरवाडा में मोस्टवांटिड बदमाश अरशद के सीने में लगी गोली को डाक्टरों की टीम ने निकाल दिया है। घायल अरशद की हालत ठीक है। ऑपरेशन के बाद उसका इलाज नूंह के शहीद हसन खां मेडिकल कॉलेज में चल रहा है।
बिछौर थाना प्रभारी राम चंद्र ने बताया कि गांव तिरवाडा निवासी मोस्टवांटेड आरोपी अरशद को मुटभेड के बाद शुक्रवार की देर शाम गांव तिरवाडा से गिरफ्तार किया था। आरोपी अरशद को उनके ही साथियों की सीने में एक गोली लग गई थी। जिसका शहीद हसन खां मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। रविवार को डाक्टरों ने ऑपरेशन कर अरशद के सीने में लगी गोली को निकाल दिया है। आरोपी की हालत ठीक है। आरोपी कहीं भाग ना जाऐ इसके लिए उसकी निगरानी के लिए अस्पताल में पुलिस तैनात की हुई है।
घायल आरोपी अरशद के पिता सुले खां का कहना है कि पुलिस और डाक्टर उसके ही बेटे से अस्पताल में मिलने नहीं दे रहे हैं। यहां तक की अरशद की पत्नि और बच्चों को भी पुलिस उसके नजीदक फटकने तक भी नहीं दे रही है। उनका कहना है कि अरशद के ऑपरेशन की पुलिस और डाक्टरों ने उनको कोई सूचना नहीं दी गई। उनको शक है कि पुलिस और डाक्टर मिली भगत कर गोली को बदल सकते हैं।
उसके बेटे के ऑपरेशन की वीडियो ग्राफी की जाए।
गांव के रोजदार और यूसुफ का कहना है कि अरशद को गोली खुद पुलिस कर्मियों ने मारी जबकि पुलिस इसे मुटभेड दिखाकर अन्य चार और बेगुनाह लोगों के सिर मंढ रही है। उनका कहना है कि पुलिस बता रही है कि अरशद सामने से और उसके अन्य चार साथी दो मंजिला मकान की छत से पुलिस पर फाईरिंग कर रहे थे। लोगों ने सवाल उठाया की जिस जगह अरशद को गोली मारी गई वह काफी बडा मैदान है, अगर छत से कोई गोली चलाता तो वहां पुलिस को छिपने के लिए भी जगह नहीं हैं। फाईरिंग में पुलिस के किसी कर्मचारी को गोली क्यों नहीं लगी। उनका कहना है कि पुलिस ने अरशद को पकडकर गोली मारी थी जिसे गांव के सैंकडों लोगों ने देखा है। वहीं अरशद के खिलाफ 2005 में गांव में आपसी झगडे का केवल एक ही मामला है जिसमें वह अदालत से भगौडा चल रहा है। लोगों ने यह भी सवाल उठाया की अगर अरशद पर 19 अपराधिक मामले दर्ज थे तो पिछले आठ-दस साल से पुलिस क्या कर रही थी। अरशद को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस गांव क्यों नहीं आई। उनका कहना है कि पुलिस ने अरशद पुत्र सुले खां के खिलाफ जो 19 फर्जी मामले बनाऐ हैं उसका उनसे कोई लेना देना नहीं है बल्कि उनके गांव का ही दूसरा अरशद है जो अपराधों संलिप्त रहता है। पुलिस ने गांव की पार्टी बाजी और दूसरे अरशद से मिली भगत कर सभी मामले अरशद पुत्र सुलेखा के सिर मंढ दिए हैं।
क्या कहती है मेडिकल कॉलेज की डारेक्टर
शहीद हसन खां मेडिकल कॉलेज की डारेक्टर यामिनी का कहना है कि ऑपरेशन और मेडिकल के दौरान संबंधित विभाग के सात-आठ डाक्टरों की पूरी टीम होती है। ऐसे में कोई भी हेराफेरी नहीं की जा सकती है। उनका कहना है कि पुलिस अपना काम करती है तो डाक्टर अपना काम करते हैं।
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