त्याग-तपस्या और बलिदान के प्रतीक थे भगवान परशुराम : संजय जोशी

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ब्राह्मण सभा सेक्टर-7 फरीदाबाद द्वारा आयोजित राष्ट्रीय बोध दिवस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के पूर्व संगठन महासचिव संजय जोशी का स्वागत करते संस्था के प्रधान प्रो. वीके शर्मा।
TODAY EXPRESS NEWS ( AJAY VERMA ) फरीदाबाद। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के पूर्व संगठन महासचिव संजय जोशी ने कहा है कि भगवान परशुराम त्याग, तपस्या और बलिदान के प्रतीक थे, उन्होंने 21 बार पृथ्वी को दुष्टों से खाली कराया और समाज को जोडऩे का काम किया। भगवान परशुराम के जमाने में सर्व समाज की रोटी-बेटी एक थी, उनकी मां क्षत्राणी थी और उस समय जाट, गुर्जर व अन्य समाज सब क्षत्रिय कहलाते थे। उन्होंने राजाओं से टक्कर लेकर गरीब व मजलूम लोगों को सहारा देने का काम किया, इसके लिए लोग उन्हें भगवान का दर्जा देकर पूजते है।  श्री जोशी सेक्टर-7 स्थित नालंदा विद्यालय में ब्राह्मण सभा सेक्टर-7 फरीदाबाद द्वारा भगवान् श्री परशुराम के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित राष्ट्रीय बोध दिवस कार्यक्रम को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का शुभारंभ हवन यज्ञ के साथ किया गया, जिसमें सभा के प्रधान वी.के. शर्मा सहित उनकी कार्यकारिणी के सदस्यों ने भाग लिया। श्री जोशी ने कहा कि भगवान परशुराम धरती पर वैदिक संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना चाहते थे।

 

ब्राह्मण सभा सेक्टर-7 फरीदाबाद द्वारा आयोजित राष्ट्रीय बोध दिवस कार्यक्रम में समाज के लोगों को संबोधित करते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के पूर्व संगठन महासचिव संजय जोशी।
कहा जाता है कि भारत के अधिकांश ग्राम उन्हीं के द्वारा बसाये गये। जिस मे कोंकण, गोवा एवं केरल का समावेश है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान परशुराम ने तिर चला कर गुजरात से लेकर केरला तक समुद्र को पीछे धकेलते हुए नई भूमि का निर्माण किया और इसी कारण कोंकण, गोवा और केरला मे भगवान परशुराम वंदनीय है। श्री जोशी ने कहा कि वे भार्गव गोत्र की सबसे आज्ञाकारी सन्तानों में से एक थे, जो सदैव अपने गुरुजनों और माता पिता की आज्ञा का पालन करते थे। वे सदा बड़ों का सम्मान करते थे और कभी भी उनकी अवहेलना नहीं करते थे। उनका भाव इस जीव सृष्टि को इसके प्राकृतिक सौंदर्य सहित जीवन्त बनाये रखना था। वे चाहते थे कि यह सारी सृष्टि पशु पक्षियों, वृक्षों, फल फूल औए समूची प्रकृति के लिए जीवन्त रहे। उनका कहना था कि राजा का धर्म वैदिक जीवन का प्रसार करना है नाकि अपनी प्रजा से आज्ञापालन करवाना। वे एक ब्राह्मण के रूप में जन्में अवश्य थे लेकिन कर्म से एक क्षत्रिय थे। उन्हें भार्गव के नाम से भी जाना जाता है। श्री जोशी ने कहा कि आज हम सबको उनके बताए आदर्शाे को अपनाकर समाज व देशहित में कार्य करने का संकल्प लेना चाहिए।  इस अवसर पर संजय जोशी ने मेधावी विद्यार्थियों को पुरस्कृत भी किया। कार्यक्रम में पूर्व विधायक आनंद कौशिक, पंडित राजेंद्र शर्मा, सुमित गौड़, अधिवक्ता शिवदत्त वशिष्ठ , रमणीक प्रभाकर, सुश्री रेनू वशिष्ठ, ईश्वर कौशिक, के.सी. शर्मा, आई ए एस (रिटायर्ड ) एच एस राणा सहित ब्राह्मण सभा के एग्जीक्यूटिव के सदस्य सुरेश गौतम सीनियर वाईस प्रेसिडेंट, सुशील कौशिक जॉइंट सेक्रेटरी, सुभाष पराशर ट्रेसरार, ओ पी कौशिक सम्पदा अधिकारी, संजय चतुर्वेदी सहित समाज के गणमान्य लोग उपस्थित थे।

 


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