जनादेश जुटाने के लिए हुड्डा फिर मैदान में उतरे

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TODAY EXPRESS NEWS ( AJAY VERMA ) चंडीगढ़, 25 फरवरी। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस को खोई सत्ता दिलाने व जनादेश जुटाने के लिए फिर से मैदान में उतर रहे हैं। इस बार हुड्डा प्रदेश में भाईचारे पर की गई गहरी चोट के खिलाफ बदलाव का शंखनाद करते हुए खुशहाली का नारा लेकर निकले हैं। भाजपा ने सत्ता पाने के लिए जिस तरह से चुनाव के दौरान लंबे-चौड़े वादे किए, वह सारे हवाई निकले हैं। वादा था कि दो करोड़ युवाओं को रोजगार मिलेगा, 15 लाख रूपय हर आदमी के खाते में आएगा,कालेधन को वापस लाएंग व किसान के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू होगी।

परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ और बदले में प्रदेश को मिली तीन बार की हिंसा और आगजनी। ताकि इन मुद्दों से ध्यान भटके और लोगों को आपस में ही लड़ाया जाए। ऐसे माहौल में जनता के मर्म को समझना जरूरी हो गया है। दूसरा,इस यात्रा के जरिये हुड्डा कांग्रेस के समर्थन में जनादेश जुटाने और सत्ता में वापसी की जमीन भी तैयार करेंगे।

दरअसल, यात्रा और पूर्व सीएम हुड्डा का पुराना नाता रहा है। वह जब-जब मौजूदा सरकार की नाकामियों को लेकर जनता के साथ सड़क पर उतरे हैं, तब-तब हरियाणा में सत्ता परिर्वन हुआ है। पूर्व सीएम हुड्डा ने इससे पहले चौटाला सरकार के खिलाफ न्याय यात्रा निकाली थी। किसानों पर हुए अत्याचार, व्यापारी के साथ हो रहे दुव्र्यवहार, कर्मचारी तथा आमजन को न्याय के लिए यह यात्रा कंडेला जींद से शुरू होकर रामलीला मैदान दिल्ली में रूकी थी। इस यात्रा का असर यह रहा था कि2005 में प्रदेश में कांग्रेस को 67 सीटें मिलीं और सरकार बनी।

इससे पहले बंसीलाल सरकार के विरूद्ध भी 1999 में क्रांति यात्रा पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने निकाली थी। यह यात्रा पंचकूला से शुरू हुई थी और जींद में एक विशाल रैली द्वारा इसका समापन हुआ था इस यात्रा ने हरियाणा में रसातल में पहुंच गई कांग्रेस को जीवित करने का काम किया था। 1996 से सत्ता से बाहर कांग्रेस को दस साल बाद पूर्व सीएम हुड्डा ही 2005 में सत्ता में लेकर आए। अब तीसरी हरियाणा के अंतिम छोर पर बसे होडल कस्बे से 25 फरवरी को पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा जनक्रांति यात्रा शुरूआत की है।

वजह यह है कि हरियाणा के आज तक के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि तीन साल के समय में सरकार तीन बार फेल हुई और सेना को बुलाना पड़ा। मामला चाहे जाट आरक्षण में भाईचारे को बिगाडऩे तथा आगजनी फैलाने का हो, या फिर रामपाल महाराज और डेरा सच्चा सौदा प्रमुख की सजा का, हर बार सरकार हाशिये पर मिली। ऐसे हालात में प्रदेश के दस साल सीएम रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा की जनक्रांति यात्रा निकालने के कई मायने हैं। कांग्रेस की वापसी के साथ-साथ यह यात्रा प्रदेश में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की लोकप्रियता, जनता के बीच उनकी पकड़ और दस साल के राज में हर वर्ग के विकास का प्रमाण होगी। प्रदेश भर में हलकावार होने वाली जनक्रांति यात्रा को लेकर भले ही विपक्ष कुछ भी प्रचार करे, लेकिन इसका असर आने वाले चुनाव में सबके सामने होगा।

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रैली की झलकियां

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जनक्रांति यात्रा के आगाज के दौरान आयोजित विशाल रैली में लोगों का जोश देखते ही बन रहा था।

बंचारे के नंगाडों की थाप पर कार्यकर्ता जमकर झूमे और हुड्‌डा के नाम पर जयकारे लगाए।

आयोजन तो होडल की अनाज मंडी में था, लेकिन भीड़ की वजह से पलवल से लेकर होडल तक हाइवे पर जाम लगा रहा।

होडल शहर को पूरी तरह कांग्रेस के रंग में रंगा हुआ था।

होडल का मेन बाजार दिनभर जाम रहा और पैदल चलना भी लोगों दुभर रहा।

पूर्व सीएम की अगुवाई हजारों मोटर साइकिल सवार युवाओं के काफिले से की गई।

इसकी वजह से हाइवे पर हुड्‌डा के नाम के जमकर जयकारे लगे और काफी देर के लिए सड़क पर ट्रैफिक ठहर गया।

चोट के बाद पहली बार जनता के बीच पहुंचे पूर्व सीएम की एक झलक पाने के लिए कार्यकर्ताओं में भारी उत्सुकता थी।

विशाल रैली में सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का ओजस्वी भाषण ने कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया।

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