चंद्रशेखर आजाद चौक पर चंद्रशेखर आजाद जयन्ती मनाई गयी.

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TODAY EXPRESS NEWS : आज दिनांक 23 जुलाई 2019 को  अखिल भारतीय ब्राहमण महासभा  द्वारा  सुरेंद्र शर्मा (बबली) जी की अध्यक्षता में प्रोग्राम हुआ में  बल्लबगढ़ के सेक्टर 2 बाइपास रोड चंद्रशेखर आजाद चौक पर चंद्रशेखर आजाद  जयन्ती मनाई गयी इस मौके पर अखिल भारतीय ब्राहमण महासभा के राष्टीय अध्यक्ष सुरेन्द्र शर्मा बबली ने चंद्रशेखर आजाद की जीवनी पर प्रकाश डाला चंद्रशेखर आजाद ने कहा था- दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे. चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में सुखदेव और अपने एक अन्य और मित्र के साथ योजना बना रहे थे. अचानक अंग्रेज पुलिस ने उनपर हमला कर दिया. आजाद ने पुलिस पर गोलियां चलाईं जिससे कि सुखदेव वहां से बचकर निकल सके. पुलिस की गोलियों से आजाद बुरी तरह घायल हो गए थे. वे सैकड़ों पुलिस वालों के सामने 20 मिनट तक लोहा लेते रहे. उन्होंने संकल्प लिया था कि वे न कभी पकड़े जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी. इसीलिए अपने संकल्प को पूरा करने के लिए अपनी पिस्तौल की आखिरी गोली खुद को मार ली और मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी.   चन्द्रशेखर  आजाद ने 1928 में लाहौर में ब्रिटिश पुलिस ऑफिर एसपी सॉन्डर्स को गोली मारकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया था 1922 में चौरी चौरा की घटना के बाद गांधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया तो देश के तमाम नवयुवकों की तरह आज़ाद का भी कांग्रेस से मोहभंग हो गया. जिसके बाद पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, शचीन्द्रनाथ सान्याल योगेशचन्द्र चटर्जी ने 1924 में उत्तर भारत के क्रान्तिकारियों को लेकर एक दल हिन्दुस्तानी प्रजातान्त्रिक संघ का गठन किया. चन्द्रशेखर आज़ाद भी इस दल में शामिल हो गए    ओ पी शास्त्री जी ,ललित शर्मा ,ललित पाराशर ,अजीत ,ओमन ,कृष्णकांत, देवराज, बिजेंदर ,एलआर मैनेजर ,हरीश ए डी वी, हरीश कोलाना ,विनोद ,शिवानंद, सतवीर ,परवीन ,मोहित ,गौरव ,मूलचंद, राजेश ,शिवकुमार ,राजबाला, सरिता संगीता नेगी ,प्रेमवती ,संजना ,किशोरी लाल ,ताराचंद ,प्रेमचंद ,श्यामसुंदर, उमेश करण गौतम , बृजभूषण सैनी, चिंकू, अवधेश,  हर्ष,   साथ में  अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट  के राष्टीय महासचिव महेश शर्मा ने कहा कि पहली बार गिरफ़्तार होने पर उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी गई. हर कोड़े के वार के साथ उन्होंने, ‘वन्दे मातरम्‌’ और ‘महात्मा गांधी की जय’ का स्वर बुलंद किया. इसके बाद वे सार्वजनिक रूप से ‘आजाद’ पुकारे जाने लगे चंद्रशेखर की मां उन्हें संस्कृत का शिक्षक बनाने चाहती थी. इसीलिए आजाद 14 वर्ष की आयु में बनारस गए और वहां एक संस्कृत पाठशाला में पढ़ाई की. ट्रस्ट के राष्टीय मीडिया प्रभारी संजय शर्मा ने बताया कि आजाद का प्रारम्भिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित भाबरा गांव में बीता था. बेहद कम उम्र में चंद्रशेखर आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे कुछ ऐसा था चंद्रशेखर के ‘आजाद’ बनने का सफर, पहली बार गिरफ्तार होने पर मिली थी 15 कोड़ों की सजा,  चंद्रशेखर आजाद की जयंती के मौके पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है.महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की आज जयंती है. चंद्रशेखर आजाद का जन्म  23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाबरा नामक स्थान पर हुआ था  अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्टीय महामंत्री हरदयेश सिह ने बताया कि    महान क्रांतिकारी आजाद ने देश की आजादी के लिए अपने जीवन की आहुति दे दी थी महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की आज जयंती है. आज उनकी जयंती के मौके पर इस अवसर पर के वरिष्ट भाजपा नेता सूरज मान, नमो नमो मोर्चा के जिला अध्यक्ष सुधीर चौधरी व सीही मंडल अध्यक्ष पवन सौरौत, डॉ महेंद्र भारद्वाज राष्ट्रीय सचिव, ने भी सिरकत की इस मौके पर  , डॉ  एम एस उपाध्याय, राजेश गोयल, भविचन्द   पुष्पेन्द्र सिंह, सत्यम कुमार, विमलेश देवी, एडवोकेट नीरज भारद्वाज, राष्टीय कोषाध्यक्ष मधु शर्मा, जितेंद्र कुमार (सलाहकार) , शिल्पी  सरोहा, राकेश शर्मा, करणवीर सिंह, सुबलेश मलिक, पूनम चौधरी, धर्मेन्दर चौधरी, पदम सिंह, सुबोध कुमार साह,   राजेश गोयल, भविचन्द, डॉ m s उपाद्यय, संजय वर्मा  व ट्रस्ट के सभी पदाधिकारी और सद्स्य भारी संख्या में उपस्थित थे.

( टुडे एक्सप्रेस न्यूज़ के लिए अजय वर्मा की रिपोर्ट )


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