TODAY EXPRESS NEWS ( REPORT BY AJAY VERMA ) 1 अक्तूबर 2017। एशियन इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंसेज अस्पताल के एनेस्थीसिया विभाग ने द एनेस्थेटिस्ट सोसायटी के सहयोग से अस्पताल के प्रांगण में दो दिवसीय एनेस्थीसिया कार्यशाला का आयोजन किया गया । इस कार्यशाला के मुख्य संरक्षक एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. एनके पांडे एवं डॉ. पीएस आहुजा उपस्थित रहे। कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन कर किया गया। इसके अलावा कार्यशाला की आयोजन समिति से डॉ. दिवेश अरोड़ा, डॉ. नैनतारा बत्रा, डॉ. नीति गुलाटी, डॉ. विदूषी बांगिया, डॉ. मिनाक्षी अग्रवाल, डॉ. ज्योति गुप्ता, डॉ. पूनम दरसवाल, डॉ. अमृता नंदी, डॉ. दीप्ती धीमान और डॉ. अपूर्व साधु आदि मौजूद रहे।
इस कार्यशाला में डॉ. शिव कुमार सिंह (यूके), डॉ. तुषार दीक्षित (यूके)े, डॉ. अनुरोध भवनानी (यूके), डॉ. गुरूनाथ मूर्थि (ऑस्ट्रेलिया), डॉ. वेधा बाला (ऑस्ट्रेलिया), डॉ. आशीष पांडा (जर्मनी), डॉ. हेतल वडेरा (राजकोट), डॉ. जेनयल मैकलीन (केरला), डॉ. हर्मन सेहम्बी (कनाड़ा) और डॉ. अनिल शर्मा आदि राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रसिद्ध एनेस्थीसियालॉजिस्ट शामिल रहे। प्रतिभागियों के साथ अनुभव सांझा कर नई तकनीकों के संदर्भ में जानकारी भी प्रदान की।
अल्ट्रासाउंड तकनीक के माध्यम से रीजनल एनेस्थीसिया करने की तकनीक से संबंधित व्यक्तिगत प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इसमें भारत व पड़ोसी देशो के 81 प्रतिनिधियों ने प्रशिक्षण लिया। इस कार्यशाला में अल्ट्रासाउंड के उपयोग पर जोर दिया गया ताकि रीजनल एनेस्थीसिया की सटीकता बढ़ाई जा सके और सटीक दृष्टिकोण के माध्यम से जटिलताओं से बचा जा सकता है।
कार्यशाला के फैकल्टी डॉ. शिव कुमार सिंह(एफआरसीए)रॉयल लिवरपूल यूनिवर्सिटी अस्पताल के सलाहकार एनेस्थीसिस्ट ने इस कार्यशाला के बारे में बताते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से संज्ञाहरण से संबंधित ज्ञान को बढ़ाने का सर्वोत्तम तरीका है।
आधुनिकतम तकनीकी परिवेश में समय की यह मांग है कि एनेस्थीसिस्ट को रीजनल एनेस्थीसिया का ज्ञान हो। यह स्वतंत्र रूप से एनेस्थीसिया का एक महत्वपूर्ण प्रकार बन गया है। साथ ही सामान्य एनेस्थीसिया के लिए एक सहायता भी बनती है।
एशियन अस्पताल के एनेस्थीसिया विभाग के हैड डॉ. दिवेश अरोड़ा ने कहा कि प्रतिनिधियों और फैकल्टी ने कार्यक्रम में नई-नई जानकारी प्राप्त करने के लिए बेहद दिलचस्पी दिखाई। कार्यक्रम के अंत में फीडबैक फॉर्म के माध्यम से कार्यशाला की प्रशंसा की और भविष्य में इस प्रकार की कार्यशालाओं के आयोजन के लिए भी कहा। उन्होंने बताया कि सभी अस्पतालों के नेस्टेसियोलॉजिस्टों को रीजनल एनेस्थीसिया की आधुनिक तकनीकों से रूबरू कराने के उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया।